बड़ी बहु

चाय का शौक़ीन कौशल आज फिर सुबह सुबह ही घर पर आ कर बैठ गया । मैं उसे देख रहा था और वो किचन की ओर चाय को .. मानो चाय की इतनी तलब की ज़िंदगी के एके गो मक़सद हो .. चाय चाय चाय ! ख़ैर जब वक़्त थोड़ा जादे हो गया मैंने छींकूँ को आवाज़ लगाया एक लेमन टी ले आइये कौशल बाबू आये है । 

चाय आ गई .. कौशल के इस कौशल का क्या ही कहना हर आधे घंटे पर एक चाय चाहिये ही चाहिये और इस बर्बाद मोहब्बत का असर सूखे जिस्म पर साफ़ दिख रहा था माना कपड़े को कौशल ने नहीं कौशल को कपड़े ने पहन रखा हो । ख़ैर अब चाय के बाद अख़बार उठाते ही कौशल बोला अरे सुनिये आप को पता भी है गुप्ता जी के परिवार को किसी की नज़र लग गई है भैया कितना भरा भूरा परिवार था .. दोनो भाई , लड़के , बहु और नाती पोता । 

याद है राहुल की शादी के वक़्त क्या हुआ था .. मैंने संदेह भरी निगाहों से उसकी ओर देखा .. अरे वही स्पोर्ट्स क्लब वाला राहुल . मैंने कहाँ अच्छा अच्छा गुप्ता जी का बड़ा बेटा . हाँ भैया वही ..क्या बढ़ियाँ शादी किया था गुप्ता जी ने . बहु नहीं साक्षात लक्ष्मी आ गई हो मानो । आज अगर पूरा कानपुर इन लोगों को जानता है तो उसकी बड़ी वजह है उनकी संस्कारी बहुएँ . मैंने झट से हामी भर दी क्यूँकि जहाँ एक ओर लोगों के परिवार टूट रहे है वही इस परिवार की बहुओं ने इस बहुमंज़िला मकान को एक मज़बूत घर की शक्ल दे कर सब को अचंभित कर दिया ।

ये देखिये ठीक उनके घर के बग़ल में गौरी की बड़ी बहु ने अपने ही परिवार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है और सब पर आरोप लगा कर जेल भेजने की धमकी दे रही है । मैंने झट से कहाँ सुबह सुबह ये कहानी क्यूँ कुछ अच्छी बातें सुनाओ वरना अख़बार है ही मेरे पास देश भर की ऐसी कहानियाँ रोज़ पढ़ता हु । 

भैया एक बात बताये बड़ी बहु में लाख अच्छाई है लेकिन कल वो किसी बात से नाराज़ हो कर अपनी मझिली चाची को सलगिराह की बधाई देना भूल गई .. मैंने कहाँ भाई मुझे ऐसी कहानियों के लिये माफ़ करो और हँसते हुए बोला अब तुम नाश्ता कर के ही जाना .. कौशल की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा और बाहर से चिल्ला उठा भाभी नाश्ते के साथ चाय भी मिल जाये तो मज़ा आ जाये ।।

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